कल की रोटी
जब आधी दुनिया सोती है
तब कुछ ऐसी आंखे होती हैं
जिनमें नींद तो होती है मगर
एक चिन्ता होती है वो "रोटी की"
वो आँखें होती हैं स्टेशन पर किसी कुली की
वो आँखें होती हैं ट्रकों पर सामान ढोने वालों की
वो आँखें होती हैं सर्द रातों में रिक्शा चलाने वालों का
वो आँखें होती हैं अपार्टमेंट के सामने पहरा देते चौकीदारों की
अग़र सीधी बात करें तो वो आँखें होती हैं
अगले कल की रोटी का जुगाड करने वालों की
उन मज़दूरों की जो रात और दिन
खटते हैं सिर्फ़ पापी पेट की खातिर......
bahut khoob
ReplyDeleteshukriya pandit ji
ReplyDeleteरोटी की चिन्ता...इससे बङी दुनिया में कोई और चिन्ता नही है।
ReplyDeleteआशीष जी बहुत अच्छी सोच...
बधाई...