कुछ महामानव विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कहलातें है.
स्टाफ रूम में बैठकर आपस में ही बतियातें है ।
कुछ चायपानी का लुत्फ़ ले रहे राजनीती गरमातें है ।
पर कक्षाएं लेने में वो बहुत-बहुत सकुचाते है ।
महामानवी भी नही है इस मामले में कम
अकड़ दिखाती फिरती थी चारो तरफ हरदम ।
महामानव की बात करे जो ऐसे बिरले होते है .
प्रोफेसर बनकर वो बस घर पर अपने सोते है ।
क्या होगा जो इनमे से गर ऐसा जीव निकल आए ,
जाकर कक्षाएं ग्रहण करे और अध्यापक का धर्म निभाए।
उसकी भी यहाँ दुर्गति होगी ,उस पर भी राजनीती होगी ।
फ़िर ऐसा चक्रव्यूह रचेगा अध्यापक छात्र दोनों फसेगा ।
अभिमन्यु बनेगा कौन-कौन इससे अच्छा है रहो मौन ...................
इस आपाधापी में मौन वाकई सर्वोत्तम है, बधाई हो सुन्दर रचना के लिये, कृपया यूँ ही लिखते रहिये
ReplyDeleteसादर
चन्दर मेहेर
lifemazedar.blogspot.com
Being a Real professor,I think the situation is not so worsend but I must appriciate your efforts to write a poem and will to express yrself.
ReplyDeletethanks,
dr.bhoopendra jeevansandarbh.blogspot.com
great
ReplyDeleteस्वागत है
ReplyDelete---- चुटकी----
ReplyDeleteराहुल थके
प्रियंका ने
चलाई कार,
अब तो
यह भी है
टीवी लायक
समाचार।
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें
कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये!!.