जीवन के तमाम उतार चढ़ाव में
अक्सर तुम्हे अपने साथ पता हूँ
हर वो लम्हा मुझे याद है एकदम अविस्मृत
मै व्याकुलता के पराकास्ठा पर था
तब तुमने मझे दूर से ही
अपने सामीप्य का एहसास कराया था
तुम्हारा वही एह्साह थामे है मुझे
और मै जूझ रहा हूँ हालात से
मुझे यकी है तुम मुझे संभालोगी
....................आशीष शुक्ला
अक्सर तुम्हे अपने साथ पता हूँ
हर वो लम्हा मुझे याद है एकदम अविस्मृत
मै व्याकुलता के पराकास्ठा पर था
तब तुमने मझे दूर से ही
अपने सामीप्य का एहसास कराया था
तुम्हारा वही एह्साह थामे है मुझे
और मै जूझ रहा हूँ हालात से
मुझे यकी है तुम मुझे संभालोगी
....................आशीष शुक्ला