Friday, January 25, 2013

विश्वास

जीवन के तमाम उतार चढ़ाव में 
अक्सर तुम्हे अपने साथ पता हूँ 
हर वो लम्हा मुझे याद है एकदम अविस्मृत 
मै व्याकुलता के पराकास्ठा पर था 
तब तुमने मझे दूर से ही
अपने सामीप्य का एहसास कराया था
तुम्हारा वही एह्साह थामे है मुझे 
और मै जूझ रहा हूँ हालात से 
मुझे यकी है तुम मुझे संभालोगी

....................आशीष शुक्ला